भगवान शिव के साथ नंदी जी के विराजने का क्या कारण है (baghwan shiv ke saath nandi ko virajne ka kiya karan hai)

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आज हम आपको अपनी इस post में भगवान शिव के साथ नंदी जी के विराजने का क्या कारण है इन topic पर discuss करने जा रहे हैं। और हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आएगी। और आप इसको आगे share भी करेंगे।

भगवान शिव के साथ नंदी जी के विराजने का क्या कारण है (baghwan shiv ke saath nandi ko virajne ka kiya karan hai)

 

 

जब भी कभी आप मंदिर जाते हैं तो मंदिर में शिव जी के ठीक सामने ही नंदी जी बैठे हुए होते हैं। और शिव जी के दर्शन करके जब आप बाहर आने लगते हैं तो अपनी मनोकामना नंदी के कान में कहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि शिवजी के सामने नंदी को क्यों रखा गया है और इसकी क्या वजह है और आखिर आप नंदी के कान में wishes क्यों कहते हैं। चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं।

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Old कथा के अनुसार शिलाद मुनि ने ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए मुनि युग और तब मैं अपनी सारी life जीने का फैसला किया था। इससे उनका वंश समाप्त होते देख उनके पिता ने चिंतित होकर शिलाद को वंश आगे बढ़ाने के लिए कहा मगर वह तक में व्यस्त थे और इसीलिए उन्होंने संतान के लिए इंद्रदेव को ताप से प्रश्न करके जन्म और मृत्यु के बंधन से हीन पुत्र का वरदान मांगा पर उन्होंने उसको मना कर दिया और कहा कि यह सिर्फ भगवान शिव को happy करने से होगा। और तभी से शिलाद ने कठोर तपस्या करना चालू कर दिया और भगवान शंकर उससे प्रसन्न होकर स्वयं शिलाद को पुत्र रूप में प्रकट होने का वरदान दिया।

कुछ दिन बाद भूमि को जोतते समय शिलाद को एक बालक मिला जिसका नाम उन्होंने नंदी रखा और उसको भगवान शंकर के मित्र और वरुण नाम के दो मुनि युग के आश्रम में भेजा जिन्होंने उसको देखकर भैया भविष्यवाणी की के नंदी अल्पायु है और जब यह बात नंदी को पता चली तब वह महादेव की आराधना से मृत्यु को पाने के लिए jungle में चला गया jungle में उसने शिव का ध्यान आरंभ कर लिया।

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और भगवान शिव नंदी के तप से प्रसन्न हो गए और उस को यह वरदान दिया कि वह मृत्यु के भय से मुक्त है और अमर है और इसी तरह नंदी नंदीश्वर हो गए और भगवान शिव ने नंदी को यह वरदान दिया कि जहां उनका निवास होगा वहां वहां नंदी का भी निवास होगा तभी से हर शिव मंदिर में शिवाजी के सामने नंदी की स्थापना की जाती है।

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