भाद्रपद मास की पूर्णिमा को श्राद्ध पूर्णिमा (shhradh poornima) के नाम से भी जाना जाता है,इस दिन से श्राद्ध आरंभ हो जाते हैं |पूर्णिमा तिथि के बाद प्रथमा, द्वितीय, तृतीय में सबसे अंत में अमावस्या का श्राद्ध किया जाता है
ऐसा माना जाता है कि यदि आप किसी भी पित्र के श्राद्ध का दिन भूल जाते हैं तब आप अमावस्या ( amavasya) के दिन उस श्राद्ध को कर सकते हैं|
जाने कब है श्राद्ध पूर्णिमा व इसका महत्व
श्राद्ध तर्पण विधि
श्राद्ध के दिन भोजन बनाकर चींटी, कौवा, गाय, अग्नि आदि को समर्पित किया जाता है इस दिन विशेष कार्य खीर पूरी का भोग लगाया जाता है | लोग सुबह स्नान आदि से निवृत होकर अपने पितरों के लिए जल का तर्पण करते हैं व उनके नाम पर दान आदि करते हैं|
कुछ लोग श्राद्ध के लिए ब्राह्मण आदि को घर पर निमंत्रित करते हैं और उनसे विधिवत पूजा करवाते हैं|
श्राद्ध पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है|
श्राद्ध तिथि
वर्ष 2021 में श्राद्ध 20 सितंबर से आरंभ हो रहे हैं अतः 20 तारीख को पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाएगा
ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा का श्राद्ध ऋषि यों के लिए समर्पित किया जाता है| पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा घरों में की जाती है | इस दिन उमा महेश्वर व्रत भी रखा जाता है |भगवान सत्यनारायण ने भी उमा महेश्वर व्रत पालन किया था|
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