वैज्ञानिकों का मानना है कि जब हम दिन भर अपने मस्तिष्क पर ज़ोर देते हैं, टीवी बहुत ज्यादा देखते हैं और ऐसी चीजों का अनुभव करते हैं जो हमारे दिमाग पर असर डालती हैं तो वही चीज़ें कई बार हमारे सपने में भी आकर परेशान करती हैं।
वैज्ञानिकों ने इसे ‘कैमिकल इम्बैलेंस’ का नाम दिया है। लेकिन तब क्या जब हमारे अपने ही हमारे सपने में आकर कुछ संदेश देते हैं? खास तौर पर वे लोग जो असल ज़िंदगी में हमारे साथ नहीं हैं… यानी कि मर चुके हैं लेकिन फिर भी हमारे स्वप्न में आकर हमसे बातें करते हैं।जिन-जिन लोगों को मरे हुए नज़दीकियों के सपने आते हैं, उनके लिए ये सपने एक तरह से लाइफ़ चेंजिंग अनुभव होते हैं. कई लोग इन सपनों में अपनों द्वारा इशारों में दी जाने वाली गाइडेंस को अपना कर अपने जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन कर डालते हैं.
आध्यात्म और मनोविज्ञान दोनों में इस बात का ज़िक्र किया गया है कि हमारे अपने जो दुनिया छोड़ कर जा चुके हैं, वो सपनों में आकर हमारे साथ बने रहते हैं. वो हमारे अच्छे के लिए हमेशा हमारे साथ खड़े होते हैं, ज़रूरत होती है केवल उनके इशारों को समझने की.
विभिन्न शास्त्रों एवं मान्यताओं में ऐसा कहा गया है कि मृत लोगों का सपने में आना कोई कहानी नहीं बल्कि सच्चाई है। स्वयं साइंस ने भी लोगों के इस तर्क को माना है। लेकिन जो इस दुनिया से चला गया आखिरकार वह सपने में क्यों आता है?