लक्ष्मी पाने की इच्छा हर एक इंसान के अंदर होती है और उस लक्ष्मी को पाने के लिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करना बहुत ही आवश्यक होता है। क्योंकि अक्सर अपने देखा होगा की माँ लक्ष्मी हमेशा विष्णु भगवान के चरण दबाते हुए ही मिलेगी।
इसके
जिस प्रकार महिलाओ के हाथ मे देव गुरु बृहस्पति होते है उसी प्रकार पुरुषो के पैरो मे दैत्यगुरु शुक्राचार्य होते है। और जब कोई महिला किसी पुरुष के पैर को दबाती है तब देव और दानव का मिलन होता है जिससे धन का लाभ होता है इसलिए मैं स्वामी का पैर हमेशा दबाती रहती हूँ।
भगवान विष्णु ने उसी पुरुषार्थ को अपने वश मे किया है। और लक्ष्मी उन्ही के वश मे रहती है जो सबका कल्याण करते है और कल्याण का जो भाव रखते है। और भगवान विष्णु के पास वह धन है जो सम्पत्ति है। और उसका उपयोग विष्णु जी को पता है।
वही दूसरी पौराणिक मे यह कहा गया है कि लक्ष्मी और अलक्ष्मी दोनो ही बहने है अलक्ष्मी लक्ष्मी से बहुत ही ईष्या करती है। अलक्ष्मी बिल्कुल भी दिखने मे अच्छी नही लगती है और जब भी लक्ष्मी जी अपने पति के साथ रहती है तो वह उनके बीच जा के पहुच जाती है। और उनकी इस हरकतों के कारण लक्ष्मी जी नाराज हो कर बोलती है की तुम मेरे पीछे क्यों आ जाती हो तो अलक्ष्मी ने जवाब दिया की मेरा पति मुझे छोड़कर चला गया है इसलिए तुम जहा भी जाओगी मैं तुम्हारे साथ रहूंगी।
लक्ष्मी जी उनकी इस जवाब से क्रोधित हो कर श्राप देती है तुम हमेशा वह रहोगी जहा ईष्या, झगड़े, क्लेश और कलह का वातावरण बन जाता है और यही निशानी है घर मे अलक्ष्मी के प्रवेश का इसलिए लक्ष्मी जी विष्णु जी की चरणों के पास बैठ कर उनके पैर की धूल को साफ करती रहती है ताकि अलक्ष्मी उस जगह ना रह सके। इसलिए हिन्दू धर्मो मे अलक्ष्मी को दूर करने के लिए घर की साफ सफाई रखी जाती है ताकि अलक्ष्मी का उस घर मे वास ना हो।