करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त (Karva Chauth Date and Time)
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 अक्टूबर की शाम 06 बजकर 48 मिनट।
चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 अक्टूबर की सुबह सुबह 07 बजकर 29 मिनट तक।
करवा चौथ व्रत का समय: 17 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 27 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक.
कुल अवधि: 13 घंटे 50 मिनट।
पूजा का शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक।
अवधि- 1 घंटे 16 मिनट
चन्द्रोदय का समय
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय 06 बजकर 41 मिनट पर होगा।
यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी का रखा जाता है। इस दिन सारी सुहागवती औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। औरते सुबह से बिना कछ खाये पिये पूरे दिन व्रत करती हैं और शाम को चांद के दीदार करके ही अपना व्रत तोड़ती हैं। लेकिन आपको पता होना चाहिए की व्रत के पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है खासतौर उन महिलाओं को जिन्हें पहला करवा को व्रत करना है। क्योंकि वे इस व्रत के बारे में अंजान रहती हैं।
सुने कथा
करवा चौथ में जितना महत्व व्रत और पूजा करने का होता है, उतना ही महत्व करवा चौथ की कथा सुनने का भी होता है। बहुत सारी ऐसी औरतें भी होती हैं जो कथा सुनने में रूचि नहीं लेती हैं। इसी वजह से वे कथा में अपना ध्यान नहीं लगाती। लेकिन आपको बता दें कि ये बहुत ही गलत होता है। इस त्योहार में जितना जरूरी व्रत और पूजा करना होता है, उतना ही जरूरी कथा सुनना भी होता है। इसलिए सभी महिलाओं को पूजा करते समय ध्यान से कथा सुननी चाहिए।
करवा चौथ के गीत गाएं
करवा की पुजा एक साथ बहुत सी औरते इकट्ठे होकर व्रत कथा सुनती हैं और पूजा करती हैं। ऐसे में पूजा के समय करवा चौथ के गीत और भजन गाना चाहिए। करवा चौथ पर इस बात का बहुत महत्व होता है। ऐसा करने से वातावरण शुद्ध होता है और पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है।
बहू को दे सरगी
करवा चौथ में सरगी को अपना अलग महत्व है। सरगी के रूप में व्रत शुरू होने से पहले सास आपनी बहू को कुछ मिठाइयां और कपड़े और श्रृंगार का सामान देती हैं। करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले सुबह लगभग चार बजे के आस-पास महिलाएं इस सरगी को खाकर अपने व्रत की शुरुवात करें। इसके बाद पूरा दिन का उपवास करें और चांद निकलने पर अपना व्रत खोलें।
पहने लाल साड़ी या लहंगा
करवा चौथ का व्रत महिलाओं के वैवाहिक जीवन से जुड़ा होता है, इसलिए हो सके तो इस दिन पूजा के समय महिलाओं को अपनी शादी का जोड़ा पहने। अगर शादी का जोड़ा न पहन सकें तो लाल रंग की साड़ी या लहंगा पहनना अच्छा माना जाता है। लाल रंग प्रेम का प्रतीक माना जाता है और करवा चौथ के दिन ज्यादा से ज्यादा इसी रंग का प्रयोग करना चाहिए।
बेटी के घर भेजे बाया
जिस तरह सास का अपनी बहू को सरगी देना महत्वपूर्ण रस्म है। उसी तरह बाया मां और बेटी से जुड़ी रस्म है। शाम को चौथ माता की पूजा शुरू होने से पहले अपनी बेटी के घर कुछ मिठाइयां, तोहफे और ड्राई फ्रूट्स भेजे जाते हैं। इसे बाया कहा जाता है। ध्यान रखें बाया पूजा शुरू होने से पहले ही पहुंचाया जाए।