अहोई अष्टमी (Ahoyi ashthami) का व्रत माताएं अपने संतान (Child) की रक्षा के लिए व संतान की प्राप्ति के लिए रखती है|
यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है, हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी व्रत की बहुत अधिक मान्यता (Importance) है|
ऐसा माना जाता है कि स्त्रियां इस दिन माता पार्वती की माता आहोई के रूप में पूजा करती हैं | यह व्रत बहुत ही कठिन होता है, इस दिन व्रती को पूरा दिन निर्जल (Without water) रखकर मां आहोई की उपासना करनी होती है और शाम के समय जब आसमान में तारे (Stars) दिखाई देते हैं तब तारों को अर्घ देकर अपने बड़ों का आशीर्वाद लेकर ही भोजन ग्रहण किया जाता है|
कहीं-कहीं पर मान्यता होती है कि इस दिन माताएं चांदी (Silver) की एक माला धारण करती हैं, जिसमें हर साल चांदी के मोती बढ़ाती जाती है| माता आहोई बच्चों की रक्षा करती है| जिन स्त्रियों के बच्चे नहीं होते हैं वे स्त्रियां बच्चे पाने के लिए अहोई अष्टमी का व्रत करती है|
अहोई अष्टमी व्रत की विधि शुभ मुहूर्त के बारे में जाने
अहोई अष्टमी व्रत के नियम
- प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए
- अपने घर व मंदिर की स्वच्छता करनी चाहिए
- स्नान आदि करके भगवान की पूजा करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए
- पूरी दिन निराहार रहकर व्रत करना चाहिए
- शाम के समय जब तारे निकल आए तो उन्हें अर्घ्य दीजिए
- घर की बूढ़ी स्त्री को कपड़े देना शुभ माना जाता है
- तारे निकलने के बाद ही भोजन में जल ग्रहण किया जाता है|
अहोई अष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त
2021 में अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर को रखा जाएगा
इसका शुभ मुहूर्त शाम को 5:39 से शुरू होकर 6:29 तक रहेगा
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