सम्पूर्ण नवग्रह यन्त्र स्थापना और पूजन विधि (sampurn navgrah Yantra sthapana aur Pooja Vidhi)

आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में संपूर्ण (Complete) यंत्र स्थापना पूजा विधि के विषय में जानकारियां (Information) देंगे जिससे आप इन ग्रह के बारे में अच्छी तरह से जानकारी हासिल कर सकते जो आपके बहुत काम आने वाला है कि नवग्रह क्या होते इनका हमारे जीवन में क्या महत्व है इन की क्या विशेषताएं इन के कितने प्रकार हैं इनका क्या महत्व है इनके क्या स्वरूप होते है इन सब प्रकार के अलग-अलग प्रश्न के उत्तर हम आपको अपनी इस पोस्ट में देंगे और उम्मीद करेंगे आपको कि हमारी या पोस्ट जरूर पसंद आएगी।

सम्पूर्ण नवग्रह यन्त्र स्थापना और पूजन विधि sampurn navgrah Yantra sthapana aur Pooja Vidhi

 

 

पूजा विधि  (Puja Vidhi)

मनुष्य के जीवन पर जो सबसे ज्यादा effect करते हैं वह होते हैं यह नवग्रह जब मनुष्य का जन्म होता है उस समय कुंडली बनती है यदि इनमें से एक भी अपनी जगह से इधर उधर हो जाए तो मनुष्य के जीवन में विभिन्न प्रकार की परेशानियां (Problems) और असफलता (Failures) ही मिलती जाती है इसीलिए इन नौ ग्रहों का अपनी जगह पर स्थापित होना बहुत ही आवश्यक है।

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मनुष्य के जन्म के समय कुंडली में ग्रह अपनी जगह स्थापित कर लेते हैं। नवग्र ग्रह अशुभ दोष को शुभ करते हैं। नवग्रह मंत्र का जाप कर आप अपने ग्रहों के दोष को दूर कर सकते हैं और किसी भी भगवान देवी देवताओं से शुभ फल की प्राप्ति भी कर सकते है। हमारी life मैं जो भी difficulties problem नवग्रह की वजह से आ रही होती है हम पूजा इन नौ ग्रहों को शांत कर अपनी problems difficulties से बाहर आ सकते हैं।

नवग्रह पूजा विधि

इन नवग्रह की पूजा करने के लिए और अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए हमको सबसे पहले इन ग्रहों का आहान करना होता है इन ग्रहों की जानकारी (Information) प्राप्त करना होता है। ग्रहों का भली-भांति प्रकार से ज्ञान करना होता है।बाएं हाथ से पूजा का आह्वान करते हुए दाएं हाथ तक लाना होता है और इन ग्रहों का आह्वान करते हुए पूजा का आरंभ करना होता है।

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पूजा का भली प्रकार से ज्ञात हो जाने के बाद नौ ग्रहों का पूजा का आयोजन शुरू किया जाता है और याद रहे कि यह पूजा जाने-माने उच्च कोटि के ब्राह्मण से करवाएं पूजा नवग्रह मंदिर में भी कर सकते हैं इससे आपको और भी कई तरह के शुभ फल की प्राप्ति हो सकती हैं।नवग्रहों में सबसे strong ग्रह मंगल, पारा, बृहस्पति, शुक्र, शनि,सूर्य, चंद्रमा, राहू , केतु (दक्षिण) को माना जाता है। ऐसा पुराणों शास्त्रों में भी पाया गया है।

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