श्राद्ध के दिनो मे ना करे ये काम – Do Not These 7 Work In Shrad Day

श्राद्ध के महीने मे ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितर यानी परिवार में जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनकी आत्मा पृथ्वी पर आती है और अपने परिवार के लोगों के बीच रहती है। इसलिर पितृपक्ष में शुभ काम करना अच्छा नहीं माना जाता है।

इन दिनों कई ऐसे काम हैं जिन्हें करने से लोग बचते हैं। आज मै आपको बताऊंगी की श्राद्ध के दिनों मे कौन से काम नही करने चाहिये।

श्राद्ध के दिनो मे ना करे ये काम

1.नये कपड़े की खरीददारी

श्राद्ध के दिनों मे की नये कपड़े की खरीद दारी नही करनी चाहिये क्योंकि नये वस्त्र व्यक्ति तब खरीदता है जब वो खुश होता है औय श्राद्ध का महीना शोक व्यक्त करने का महीना होता । इसीलिये इस दिनो मे कोई भी नये कपड़े न ही खरीदने चाहिये और ना ही पहनने चाहिये।

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2. सोने की खरीदारी

श्राद्ध के दिनों में सोने की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। ऐसा इसलि ए माना जाता है क्योंकि पितृपक्ष उत्सव का नहीं बल्कि एक तरह से शोक व्यक्त करने का समय होता है उनके प्रतिए जो अब हमारे बीच नहीं रहे।

3. दाढ़ी मूंछें

इन दिनों दाढ़ी मूंछें भी नहीं कटवानी चाहिये। इसके साथ महिलायों को अपने बाल भी नही कटवाने चाहिये। इसका संबंध भी शोक व्यक्त करने से है।

4.अतिथि और याचक को भोजन

श्राद्ध के दिनों में द्वार पर आए अतिथि और याचक को बिना भोजन पानी दिए जाने नहीं देना चाहिए। माना जाता है किि पितर किसी भी रुप में श्राद्ध मांगने आ सकते हैं। इसलिए किसी का अनादर नहीं करना चाहिए।

5.नया घर

माना जाता है किइ श्राद्ध के दिनों में नया घर नहीं लेना चाहिनए। असल में घर लेने में कोई बुराई नहीं है असल कारण है स्थान पर‌विर्तन। माना जाता है ‌कि जहां पिेतरों की मृत्यु हुई होती है वह अपने उसी स्था‌न पर लौटते हैं। अगर उनके पर‌ीजिन उस स्थान पर नहीं मिलते हैं तो उन्हें तकलीफ होती है। अगर आप पितरों के लिेए श्राद्ध तर्पण कर रहे हैं तो उन्हें आपके घर खरीदने से कोई परेशानी नहीं होती है।

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6.नए वाहन

पितृपक्ष को लेकर ऐसी मान्यता है कि इन दिनों नए वाहन नहीं खरीदने चाहिक। क्योंकि इसे भौतिक सुख से जोड़कर जाना जाता है। जब आप शोक में होते हैं तो या किसी के प्रति दुख प्रकट करते है तो जश्न नहीं मनाते हैं। इसलिस धारणा है कि इन दि्नों वाहन नहीं खरीदना चाहिए।

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7. पितरों को भोजन

पितृपक्ष में बिना पितरों को भोजन दिया स्वयं भोजन नहीं करना चाहिहए इसका मतलब यह है कि जो भी भोजन बने उसमें एक हिस्सा गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ को खिला देना चाहिए।

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